“अधूरी ईंट की दीवार”
✅ आज की कहानी — “अधूरी ईंट की दीवार”
किसी ने क्या खूब कहा है…
“कमज़ोर दीवार को गिराने वाला बहुत मिलेगा… लेकिन उसे संभालने वाला वही होता है जो सच्चा होता है।”
नमस्कार दोस्तों! मैं हूँ आपका दोस्त सुमित, और आज मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ एक ऐसी कहानी — जो हमें ये सिखाती है कि दूसरों की कमी को कैसे नजरअंदाज करने की बजाय समझ कर संभाला जा सकता है।
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तो चलिए शुरू करते हैं…
बहुत साल पहले एक आश्रम में एक संत रहते थे।
उन्होंने अपने आश्रम में कुछ शिष्यों को दीवार बनाने को कहा।
सब शिष्य मिलकर ईंटों से एक लंबी दीवार बनाने लगे।
सभी ने बहुत मेहनत से दीवार खड़ी कर दी — लेकिन एक शिष्य की बनाई दीवार में एक जगह ईंटें थोड़ी टेढ़ी लग गईं।
वो शिष्य अपनी गलती देखकर बहुत दुखी हुआ।
वो रोज़ उस दीवार को देखता और सोचता — “काश! मैंने वो ईंटें सही लगाई होती… सब मेरी मज़ाक उड़ाएँगे।”
कुछ दिन बाद संत जी वहाँ आए।
उन्होंने दीवार को गौर से देखा और बोले —
"क्या बात है! ये दीवार तो बहुत सुंदर बनी है।"
वो शिष्य हैरान! उसने कहा —
"गुरुदेव! क्या आपको वो टेढ़ी ईंटें नहीं दिखीं? वो तो सब बिगाड़ रही हैं!"
संत जी मुस्कुराए —
"हाँ बेटा! वो मुझे भी दिखीं… पर मुझे वो सैकड़ों सही ईंटें भी तो दिखीं जो तूने सही लगाईं!
तू अपनी एक गलती पर इतना परेशान क्यों है — जब तेरी सारी मेहनत इतनी खूबसूरत है?"
उस शिष्य की आँखों में आँसू थे —
उसे समझ आ गया कि जिंदगी में कोई भी चीज़ परफेक्ट नहीं होती।
गलतियाँ हर किसी से होती हैं — बस ये देखना है कि हमने कितना सही भी किया है।
तो दोस्तों — इस छोटी सी कहानी से हमें यही सीख मिलती है —
दूसरों में गलती खोजने से अच्छा है उनकी अच्छाई देखो।
और अपनी एक गलती पर परेशान मत रहो — अपनी बाकी खूबियों को देखो।
अगर आपको ये कहानी अच्छी लगी — तो कॉमेंट में जरूर लिखो —
"मैं अपनी गलतियों को अपनी सीख बनाऊँगा!"
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मैं हूँ सुमित, फिर मिलूँगा एक नई कहानी के साथ — तब तक मुस्कुराते रहो, और दूसरों को भी मुस्कुराने दो! ❤️✨
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