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बच्चों से कैसे बरतें

बच्चों से कैसे बरतें ? बच्चों को किसी उपलब्धि पर पुरस्कृत करना उतना ही गलत है, जितना किसी गलती पर दंडित करना । जो प्रगतिशील सोच के शिक्षक हैं, वे सोचते हैं कि बच्चों को गलती पर हम दंड तो नहीं देंगे, लेकिन किसी उपलब्धि पर पुरस्कार देने में क्या हर्ज है ? इससे तो फायदे ही हैं । बच्चे खुश हो जाते हैं और उत्साह से पढ़ते हैं । उन्हें पता नहीं कि पुरस्कार और दंड एक ही सिक्के के दो पहलू हैं । एक को आपने चुना तो दूसरा अपने आप चुना चला जायेगा । सिक्के के एक भाग को उठाना चाहेंगे तो दूसरा भाग भी उसी के साथ उठ जायेगा । । अगर बच्चों को आप पुरस्कार का प्रलोभन देते हैं, तो अनजाने ही कभी पुरस्कार न पा सकने का भय भी दे रहे हैं । अनजाने ही एक तनाव का बीजारोपण भी कर रहे हैं । हमारी सारी शिक्षा भय और लोभ की बुनियाद पर खड़ी है । इसका दुष्परिणाम हुआ कि काम गौण हो गया और पुरस्कार प्रधान । पुरस्कार किसी तरह पाया जाना चाहिए । काम के अलावा उसे हथियाने का कोई और तरीका हो तो अपनाया जाना चाहिए । इस तरह सभी क्षेत्रों में पुरस्कार कर्म केंद्रित कम और पैरवी केंद्रित अधिक हो गया । रास्ता क्या है ? शासक...

प्रिय ग्रामीण - पंचायतवासी

प्रिय ग्रामीण - पंचायतवासी एवं बिहारवासी प्राथमिक विद्यालय खुलने का समय प्रातः 09:00 बजे है और बंद होने का समय 03:00 बजे है। जबकि माध्यमिक-उच्च माध्यमिक की पढ़ाई 9.30 से 4 बजे तक संचालित करनी है। अतः आप सभी अभिभावक अपने नौनिहाल पढ़ने वाले छात्र-छात्रा को ससमय विद्यालय भेजें एवं जो भी शिक्षत लोग हैं वो सभी पढ़ने वाले बच्चों की नियमित निरीक्षण/ निगरानी करें इससे आपका भी विश्वास बढ़ेगा और बच्चें भी नियमित पढ़ाई करेंगे। 1 . समय पर शिक्षकों की उपस्थिति, 2. नियमित विषयवार वर्ग संचालन, 3. पीने योग्य साफ पानी एवं शौचालय का उत्तम प्रबन्ध, 4. विद्यालय में प्राथमिक उपचार/ ईलाज की व्यवस्था, 5.विद्यालय परिसर को साफ सफाई रखने में सहयोग करें, 6. अपने बच्चें को समय से 15-30 मिनट पहले विद्यालय जाने और आने का समय पर ध्यान दें। 7. आप बच्चों को जिस विषय की पढ़ाई में रुचि हैं उसपर उसको पढ़ने के लिए कम से कम दो प्रकाशन की किताब जरुर उपलब्ध कराने की कोशिश करें। 8. अपने बच्चें को घर पर पढ़ने के लिए उसे प्रेरित करें और उसे पढ़ाई के वक्त किसी भी प्रकार की इंटरनेट से संबंधित या मोबाइल फोन नहीं दें। 9. ...

किसान का धैर्य

किसान का धैर्य मेरे साथ जो हुआ वह अच्छा या बुरा (किसान का धैर्य) क्यों पढ़ें - कई बार हम बहुत ज्यादा ही अपनी लाइफ को लेकर सीरियस हो जाते हैं। कि जैसे ही कुछ बुरा हुआ तो हम उदास हो जाते हैं और पल भर में जब कुछ अच्छा घटित होता है तो हम खुश हो जाते हैं। हमारे विचार बहुत जल्दी ही बदल जाते हैं। हम यह नहीं सोचते कि जो कुछ घटित हुआ है वह हमारे लिए अच्छा है या बुरा। हमारे साथ घटी घटना का भविष्य में क्‍या प्रभाव पड़ेगा ये हमें खुद पता नही होता है। (आज यह कहानी आपको कठिन परिस्थितियों में धैर्य का महत्व सिखाएगी) किसान का धैर्य | Short Story On Patience In Hindi एक समय की बात है। एक किसान था जिसके पास एक घोड़ा था। वह अपने इस घोड़े से बहुत प्यार करता था। उसे अपने घोड़े पर बहुत गर्व था जो किसान की कमाई का जरिया भी था। अपनी इस कमाई से किसान अपने परिवार का पेट भरता था। लेकिन एक दिन वह घोड़ा भाग गया। उसके भागने के बाद समाज के लोग और उस किसान के पड़ोसी उसके पास आकर उससे कहने लगे- “हे भगवान! तुम्हारा घोड़ा, जिस पर तुम्हें बहुत घमंड था वह तो भाग गया।” उसको सांत्वना देने लगे कि उसके साथ बहुत बुरा हु...

शेर और लकड़बग्घे

शेर और लकड़बग्घे LAST UPDATED: MARCH 31, 2018 BY GOPAL MISHRA 11 COMMENTS शेरा नाम का एक शेर बहुत परेशान था । वो एक नौजवान शेर था जिसने अभी -अभी शिकार करना शुरू किया था । पर अनुभव न होने के कारण वो अभी तक एक भी शिकार नहीं कर पाया था । हर एक असफल प्रयास के बाद वो उदास हो जाता , और ऊपर से आस -पास घूम रहे लकड़बघ्घे भी उसकी खिल्ली उड़ा कर खूब मजे लेते । शेरा गुस्से में उनपर दहाड़ता पर वे ढीठ कहाँ डरने वाले थे , ऐसा करने पर वे और जोर -जोर से हँसते । शेर और “उन पर ध्यान मत दो ” , समूह के बाकी शेर सलाह देते । “कैसे ध्यान न दूँ ? हर बार जब मैं कसी जानवर का शिकार करने जाता हूँ तो इन लकड़बग्घों की आवाज़ दिमाग में घूमती रहती है “ , शेरा बोला। शेरा का दिल छोटा होता जा रहा था , वो मन ही मन अपने को एक असफल शिकारी के तौर पर देखने लगा और आगे से शिकार का प्रयास न करने की सोचने लगा। ये बात शेरा की माँ , जो दल के सबसे सफल शिकारियों में से थी को अच्छी तरह से समझ आ रही थी । एक रात माँ ने शेरा को बुलाया और बोली ,” तुम परेशान मत हो , हम सभी इस दौर से गुजरे हैं , एक समय था जब मैं छोटे से छोटा शिकार भी नहीं ...

बन्दर और सुगरी

बन्दर और सुगरी सुन्दर वन में ठण्ड दस्तक दे रही थी , सभी जानवर आने वाले कठिन मौसम के लिए तैयारी करने में लगे हुए थे . सुगरी चिड़िया भी उनमे से एक थी , हर साल की तरह उसने अपने लिए एक शानदार घोंसला तैयार किया था और अचानक होने वाली बारिश और ठण्ड से बचने के लिए उसे चारो तरफ से घांस -फूंस से ढक दिया था . Hindi Story For Kids With Moral सब कुछ ठीक चल रहा था कि एक दिन अचानक ही बिजली कड़कने लगी और देखते – देखते घनघोर वर्षा होने लगी , बेमौसम आई बारिश से ठण्ड भी बढ़ गयी और सभी जानवर अपने -अपने घरों की तरफ भागने लगे . सुगरी भी तेजी दिखाते हुए अपने घोंसले में वापस आ गई , और आराम करने लगी . उसे आये अभी कुछ ही वक़्त बीता था कि एक बन्दर खुद को बचाने के लिए पेड़ के नीचे आ पहुंचा . सुगरी ने बन्दर को देखते ही कहा – “ तुम इतने होशियार बने फिरते हो तो भला ऐसे मौसम से बचने के लिए घर क्यों नहीं बनाया ?” यह सुनकर बन्दर को गुस्सा आया लेकिन वह चुप ही रह...

अकबर-बीरबल की कहानी

Mom Junction Home » अकबर-बीरबल की कहानियां अकबर-बीरबल की कहानियां जब भी बुद्धिमत्ता, चतुराई और हाजिर-जवाबी की बात होती है, तो सबसे पहला नाम बीरबल का आता है। वहीं, अकबर-बीरबल की जुगलबंदी किसी से छुपी नहीं है। ऐसा कहा भी जाता है कि बीरबल को बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक अनमोल रत्न माना जाता था। अकबर-बीरबल से जुड़ी ऐसी कई कहानियां हैं, जो हर किसी को गुदगुदाती हैं। साथ ही एक खास सीख भी दे जाती हैं।अकबर-बीरबल की कहानियां हमेशा से सभी के लिए प्रेरणादायक रही हैं। बीरबल ने अपनी चतुराई और बुद्धिमता से कई बार बादशाह अकबर के दरबार में आए पेचीदा मामलों को सुलझाया। साथ ही बादशाह अकबर की ओर से दी गई चुनौतियों को सहर्ष स्वीकार कर, उनका हल निकाला। बेशक, ये किस्से-कहानियां सदियों पुरानी हैं, लेकिन वर्तमान में भी इनका महत्व कायम है। अगर आप अपने बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने चाहते हैं या उसे यह सिखाना चाहते हैं कि कैसे हर समस्या का हल शांत रहकर व दिमाग का इस्तेमाल करके किया जा सकता है, तो अकबर-बीरबल की कहानियों से बेहतर कुछ नहीं है। हमारे कहानियों के इस भाग में पढ़िए अकबर-बीरबल के वो किस्से औ...

2021समाचारदीपावलीबॉलीवुडकोरोना वायरसज्योतिषक्राइमधर्म-संसारकाम की

Webdunia - Bharat's app for daily news and videos Install App Hindi विश्वकप 2021समाचारदीपावलीबॉलीवुडकोरोना वायरसज्योतिषक्राइमधर्म-संसारकाम की बातक्रिकेटमध्यप्रदेशवीडियोप्रचलितरामायणमहाभारतफनी जोक्सलाइफ स्‍टाइलअंग्रेज़ी सीखेंफोटो गैलरीअन्य कहानी : बकरी की सहेलियां (दोस्ती की परख) Webdunia एक बार की बात है, एक बकरी थी। वो बहुत खुशी-खुशी अपने गांव में रहती थी। वो बहुत मिलनसार थी। बहुत सारी बकरियां उसकी सहेलियां थीं। उसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। वो सभी से बात कर लेती थी और सभी को अपना दोस्त मान लेती थी। सभी कुछ अच्छा चल रहा था। लेकिन एक बार वो बकरी बीमार पड़ी और इस कारण वह धीरे-धीरे कमजोर होने लगी इसलिए अब वो पूरा-पूरा दिन घर पर ही बिताने लेगी। बकरी ने जो खाना पहले से अपने लिए जमा करके रखा था, अब वो भी खत्म होते जा रहा था। एक दिन उसकी कुछ बकरी सहेलियां उसका हाल-चाल पूछने उसके पास आईं, तब ये बकरी बड़ी खुश हुई। इसने सोचा कि अपनी सहेलियों से कुछ और दिनों के लिए वह खाना मंगवा लेगी। लेकिन वे बकरियां तो उससे मिलने के लिए अंदर आने से पहले ही उसके घर के बाहर रुक गईं और उसके आंग...